Monday 27 August 2018

मालेगांव ब्लास्ट : कर्नल पुरोहित ने ATS पर किडनैपिंग और टॉर्चर करने का लगाया आरोप


लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित ने मालेगांव विस्फोट को लेकर २००८ में एटीएस द्वारा उनके ‘अपहरण और टॉर्चर’  को लेकर उच्चतम न्यायालय में एसआईटी जांच के लिए एक याचिका दायर की है। कर्नल प्रसाद पुरोहित ने अपनी याचिका में कहा कि उन्हें महाराष्ट्र एंटी टेरोरिज्म स्क्वॉड (एटीएस) द्वारा टार्चर किया गया था और उनके उपर बयान देने के लिए दवाब बनाया गया था। अपनी याचिका के माध्यम से कर्नल पुरोहित ने कहा कि, “जो कुछ भी उन्होंने कहा था, उन्हें टार्चर कर और दबाव बनाकर कहलवाया गया था।” यहां बता दें कि २०१४ से कर्नल पुरोहित यह दावा कर रहे हैं कि उनके द्वारा जो कथित तौर पर कबुल किया गया है, वह एटीएस के दवाब में किया गया। इस मामले को न्यायालय के निगरानी में गठित एसआईटी से जांच होनी चाहिए ताकि उन्हें न्याय मिल सके। हालांकि, सूचीबद्ध होने के बावजूद उच्चतम न्यायालय के जज ने सोमवार (२७ अगस्त) को इस मामले की सुनवाई से इंकार कर दिया।
बता दें कि, २९ सितंबर २००८ को महाराष्ट्र के नासिक जिले के धार्मिक रूप से संवदेनशील इलाके मालेगांव में ब्लास्ट हुआ था। इसमें छह लोग मारे गए थे। इस मामले में महाराष्ट्र एटीएस ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और कर्नल पुरोहित को अरोपी बनाते हुए ४००० पन्नो की चार्जसीट दायर की थी। एक स्पेशल मकोका कोर्ट ने इससे पहले बताया था कि एटीएस ने कर्नल पुरोहित, साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और नौ अन्य लोगों को मकोका के तहत गलत तरीके से फंसाया गया था।
अगस्त २०१७ में उच्चतम न्यायालय ने २००८ के मालेगांव विस्फोट में आरोपी कर्नल पुरोहित को जमानत दी थी। लगभग नौ साल जेल में रहने के बाद वे जमानत पर बाहर आए। वारदात में अपने शामिल होने से इनकार करते हुए कर्नल पुरोहित ने न्यायालय से कहा था कि, अगर यह मान भी लिया जाए कि उस पर लगाया गया बम की आपूर्ति करने का आरोप सही है तो भी उसे जेल से बाहर होना चाहिए क्योंकि इस अपराध की भी अधिकतम सजा सात साल है, जो वह पहले ही काट चुके हैं। हालांकि, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने जमानत याचिका का विरोध किया था। जेल से निकलने के समय सेना की गाडी उन्हें लेने आयी थी।
स्त्रोत : जनसत्ता

Saturday 5 May 2018

अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) में हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं ने फूंका जिन्ना का पुतला

अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) में हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं ने फूंका जिन्ना का पुतला

अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) में हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं ने फूंका जिन्ना का पुतला

अलीगढ : अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के यूनियन हॉल में पाकिस्तानी संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर लगी होने पर विवाद गहराता जा रहा है ! जिन्ना की तस्वीर हटाने की मांग को लेकर हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं ने जुलूस निकाला और एएमयू कैंपस के भीतर घुसने का प्रयास किया । प्रदर्शनकारियों ने एएमयू के गेट पर मोहम्मद अली जिन्ना का पुतला फूंक दिया । पुलिस ने लाठीचार्ज कर प्रदर्शन कर रहे कार्यकर्ताओं को खदेडा ।
कुछ देर बाद हिंदू जागरण मंच समेत तमाम हिंदूवादी संगठन के कार्यकर्ता फिर से पहुंच गए और प्रदर्शन करने लगे । प्रदर्शनकारियों ने एएमयू के गेट पर मोहम्मद अली जिन्ना का पुतला फूंका । पुतला फूंकने के बाद हिंदुत्ववादी संगठनों और एएमयू छात्रों के बीच मारपीट की नौबत आ गई । पुलिस ने बीच-बचाव कर दोनों गुटों को अलग किया । ये पहली बार है जब हिंदुवादी संगठन के समर्थकों ने एएमयू के सैयद गेट पर किसी का पुतला फूंका !
फिलहाल एएमयू के आसपास तनाव का माहौल है । तनाव के मद्देनजर भारी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है । एएमयू के गेट के आसपास हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ताओं को हटा दिया गया है । फिलहाल हालात काबू में है ।

कुछ समय के लिए हटाई गई थी जिन्ना की फोटो

जिन्ना की तस्वीर को लेकर विवाद के बाद यूनियन हॉल से जिन्ना की तस्वीर हटा दी गई और यूनियन हॉल के सभी गेटों पर ताला जड़ दिया गया था । किसी के अंदर आने-जाने पर रोक लग गया था । यूनियन गेट पर ताला और जिन्ना की तस्वीर हटाए जाने को लेकर यूनियन के उपाध्यक्ष सज्जाद सुभान राथर ने कहा कि अभी सफाई का काम चल रहा है । सफाई की वजह से जिन्ना समेत कई और तस्वीरों को हटाया गया है । सफाई काम पूरा होते ही जिन्ना समेत सभी तस्वीरों को वापस अपनी जगह लगा दी जाएगी ।

भाजपा सांसद ने उठाया था सवाल

स्थानीय भाजपा सांसद सतीष गौतम
बता दें स्थानीय भाजपा सांसद सतीष गौतम ने एएमयू के वाइस चांसलर को चिट्ठी लिखकर पूछा था कि क्या अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पाकिस्तानी संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर लगी हुई है ? अगर, जिन्ना की तस्वीर लगी हुई है तो किस विभाग में और किन कारणों से लगी है वह कारण बताएं । साथ में यह भी बताएं कि एएमयू में पाकिस्तानी संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर का लगा होना कितना तार्किक है ?
स्त्रोत : झी न्यूज

Wednesday 31 January 2018

कासगंज हिंसा : पाक जिंदाबाद के नारे लगाए तो भेज देंगे पाकिस्तान ! – भाजपा विधायक कपिलदेव बोले

कासगंज हिंसा : पाक जिंदाबाद के नारे लगाए तो भेज देंगे पाकिस्तान ! – भाजपा विधायक कपिलदेव बोले


कासगंज : उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले में गणतंत्र दिवस पर तिरंगा रैली के दौरान शुरू हुई हिंसा पर अब सियासत तेज हो गई है ! तिरंगा यात्रा को लेकर शुक्रवार को हुई हिंसा मामले में अब तक ११२ लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है ।
कासगंज मामले में मुजफ्फरनगर से भाजपा विधायक कपिलदेव अग्रवाल ने कहा, ‘पाकिस्तान के नारे लगानेवालों को ट्रेन में भरकर पाकिस्तान भेज देंगे !’ शुक्रवार को ६९वें गणतंत्र दिवस के मौके पर तिरंगा यात्रा के दौरान दो समुदायों के बीच हिंसा हो गई थी । इसके बाद दोनों पक्षों की ओर से फायरिंग और पत्थरबाजी की गई, जिसमें चंदन गुप्ता नाम के युवक की मौत हो गई थी । यही नहीं, पुलिस को चंदन की हत्या के मुख्य आरोपी शकील के घर में तलाशी के दौरान देसी बम और पिस्टल बरामद हुई है ।

स्त्रोत: नवभारत टाइम्स

Friday 20 October 2017

पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान समितिद्वारा किए गए विशाल घोटालेके विरुद्ध संगठित होइए !

पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान समितिद्वारा किए गए विशाल घोटालेके विरुद्ध संगठित होइए !

किसी भी श्रद्धालुके लिए हिन्दुओंके मन्दिर एवं तीर्थस्थल उच्चतम आस्थास्थान हैं । तब भी जो लोग इन मन्दिरोंको उध्वस्त कर भक्तोंको फंसाते हैं, उनके लिए यह अक्षम्य अपराध है । हिन्दू विधिज्ञ परिषदद्वारा पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान समितिके नियन्त्रणवाले कोल्हापुरका महालक्ष्मी मन्दिर, नरसोबाची वाडी तथा ज्योतिबा मन्दिरके व्यवस्थापन एवं कार्यपद्धतिके सन्दर्भमें आर्थिक षडयन्त्र उजागर किया गया है । अब हिन्दू जनजागृति समिति तथा सभी हिन्दू संगठनोंने इस विशाल षडयन्त्रमें फंसे सभी सरकारी कार्यालय, राजनीतिज्ञ एवं अन्य लोगोंको उजागर करनेका निश्चय किया है ।
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Monday 25 September 2017

बांग्लादेश : जिहादीयोंद्वारा अपहरण की गई हिन्दू लडकी की BDMW के प्रयासों से मुक्तता

बांग्लादेश में असुरक्षित हिन्दू !

रोहिंग्या मुसलमानों के लिए भारत के मुसलमान आवाज उठाते है किंतु पाक, बांगलादेश के निरपराध हिन्दुआें के लिए भारत के हिन्दू कुछ भी नहीं करते, यह दुर्भाग्यपूर्ण है ! 
ढाका : बांग्लादेश के किशोरगंज जिले के कोटियाडी पुलिस थानेे की सीमा में हाल ही में ४ धर्मांधों ने एक १५ वर्ष की हिन्दू लडकी का अपहरण कर उसका बलपूर्वक इस्लाम में धर्मपरिवर्तन किया । बांग्लादेश में हिन्दुआें के अधिकार हेतु लडनेवाले बांग्लादेश माईनॉरिटी वॉच के अथक प्रयासों के कारण अंततः १० दिन पश्‍चात उस लडकी को मुक्त किया गया । यह लडकी जब विद्यालय से अपने घर जा रही थी, तब रास्ते मे कुछ धर्मांधों ने उसका अपहरण कर उसे अज्ञात स्थल रखा गया ।
महंमद तोरिकुल इस्लाम बाईजीद और उसके ३ सहयोगियों द्वारा इस लडकी का अपहरण किए जाने की जानकारी मिलते ही लडकी के अभिभावकों ने कोटियाडी पुलिस थाने में परिवाद प्रविष्ट किया, साथ ही उन्होंने इस विषय में बांग्लादेश माईनॉरिटी वॉच के अध्यक्ष अधिवक्ता रवींद्र घोष को भी सूचित किया । अधिवक्ता घोष ने इस संदर्भ में किशोरगंज पुलिस थाने के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी एवं राजनेताआें से संपर्क कर इस लडकी को मुक्त कराने की मांग की । वे जिला दंडाधिकारी को प्रस्तुत हिन्दू लडकी नाबालिग होने के विषय में आश्‍वस्त करने में सफल रहे । उनके अथक प्रयासों के कारण अंततः १० दिन पश्‍चात पुलिसकर्मियों ने इस लडकी को मुक्त किया और महंमद तोरिकुल इस्लाम बाईजीद को बंदी बनाया । इस प्रकरण की आगे की जांच चल रही है ।
इसपर कुछ सूत्र ध्यान में आए जो यहां पर दे रहे है :
१. हर हिन्दू को आज अंतर्मुख होकर यह विचार करना चाहिए की बांग्लादेश में हो रहे हिन्दूआें पर अत्याचार से क्या उनके मन में अपने धर्मबंधुआें के लिए कोर्इ संवेदना निर्माण होती है या नहीं ?
२. आज बांगलादेश इस्लामबहुल राष्ट्र है इसलिए वहां अल्पसंख्यक हिन्दुआेंपर अत्याचार हो रहे है । वहां हिन्दुआेंकी घट रही संख्या का मुख्य कारण है धर्मांधों की जिहादी मानसिकता ।
३. भारत में ‘हिन्दुत्वनिष्ठ’ कही जानेवाली सरकार है। किंतु अब तक का अनुभव देखते हुए भारत सरकार बांग्लादेश तथा पाकिस्तानी हिन्दुआेंकी रक्षा के लिए कुछ ठोस प्रयास नही कर पार्इ है । भारत सरकार ने अब तो बांगलादेश सरकार के पास अल्पंसख्यक हिन्दुआें की सुरक्षा का मुद्दा उठाना चाहिए आैर साथ ही भविष्य में एेसी घटनाएं ना हो इसकी आेर ध्यान दे।
४. भारत में ‘लव जिहाद’ के माध्यम से धर्मांध जिहादी युवक हिन्दु युवतीआें को प्रेमजाल में फंसाकर उनसे निकाह करते है आैर फिर उनका उपयोग केवल अपनी जनसंख्या बढाने के लिए करते है, जिसे हम ‘बच्चे पैदा करने की मशीन’ एेसे भी कह सकते है ।

आप क्या कर सकते है ?

१. हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों की सहायता से बांगलादेशी हिन्दुआेंकी रक्षा हेतु अपने जिले/गांव में जिलाधिकारीयों को ज्ञापन प्रस्तुत करें ।
२. भारत में बढ रहे लव-जिहाद के विषय में महिलाआे में जागृती कर उन्हें लव-जिहाद के दुष्परिणाम बताएं ।
३. आनेवाले समय में स्वयं को ही अपनी रक्षा करनी है, इस के लिए सिद्ध होने हेतु ‘स्वरक्षा प्रशिक्षण’ ले ।
४. भारत सरकारने रोहिंग्या मुसलमानाें को बाहर भेजने का निर्णय लिया है । रोहिंग्या मुसलमानाें के साथ ही भारत अवैध रुप से रह रहे बांगलादेशी घुसपैठीयाें को देश से निकालने की मांग करें ।

Friday 22 January 2016

शनिशिंगणापूर के श्री शनैश्‍वरजी के चबुतरेपर चढकर महिलाने किया दर्शन !

शनिशिंगणापूर के श्री शनैश्‍वरजी के चबुतरेपर चढकर महिलाने किया दर्शन !

शनिशिंगणापूर (नगर) के प्रसिद्ध जागृत एवं स्वयंभू श्री शनैश्‍वरजी के चबुतरेपर चढकर २८ नवंबर के दिन एक महिलाने श्री शनैश्‍वर का दर्शन किया । गत कुछ वर्षोंसे पुरूषों को भी शनि के चबुतरेपर जाकर दर्शन करने प्रतिबंध डाला गया है । महिलाआें के लिए यह प्रतिबंध पहलेसे ही लागू था । देशभर के अनेक मंदिरों में भी धर्मशास्रद्वारा बताए गए, साथ ही पूर्वापार से चलते आए हुए मंदिर प्रवेश के संदर्भ में नियम हैं । उनका पालन करने में ही सब का हित होता है; परंतु कथित पुरोगामी स्रीमुक्ति के ढोल बजानेवाले इन परंपरा को तोडने का मन बना रहे हैं । तमिलनाडू में होनेवाले शनि के मंदिर के उपरसे अमेरिका का उपग्रह नहीं जा सकता, ऐसा ३ बार सिद्ध होने के कारण अमेरिकाने अपने मार्ग में अब परिवर्तन किया हैे, ऐसा समाचार प्रकाशित हुआ था । क्या इसका उत्तर बुद्धीवादी दे सकते हैं ? धर्म के संदर्भ में स्री-पुरूष समानता के सूत्र उपस्थित करना हास्यास्पद है । देवस्थान अथवा गर्भगृह में होनेवाली ऊर्जा का महिलाआें के शरिरपर अनिष्ट परिणाम न हो; इसलिए कुछ मंदिरों में मूर्ति के समीप अथवा गर्भगृह में उनके लिए प्रवेश नहीं होता है । यहां धर्मने एक प्रकारसे महिलाआें के स्वास्थ्य की चिंता ही की है, यह कथित बुद्धीवादी एवं स्त्रीवादी इनके ध्यान में नहीं आता ।
२६ जनवरी को भूमाता ब्रिगेड की ओरसे कथित स्रीमुक्ति का बवंडर मचाकर धार्मिक जनता, साथ ही स्थानीय नागरिक इनके विरोध को भी ध्यान में लेते हुए शनि के चबुतरेपर चढने का आततायीपन किया जानेवाला है । किंतु शनिशिंगणापूर में धार्मिक प्रथाआें को तोडने इच्छुक नास्तिकवादियों के प्रयास को हम तोड देंगे, साथ ही इस प्रकार की घटनाएं भविष्य में ना हों, इसलिए हिन्दु धार्मिक परंपरा रक्षा आंदोलन व्यापक स्तरपर करेंगे, ऐसा निश्‍चय नगर के हिन्दुत्वनिष्ठोंने व्यक्त किया है ।
श्री. संदीप खामकर ने भी २६ जनवरी के दिन भूमाता ब्रिगेड की ओरसे किए जानेवाले धर्मविरोधी कृति के संदर्भ में स्थानियों में जागृति की है तथा उन्होंने हम अधिकाधिक संख्या में उपस्थित होकर उनके इस उपक्रम को सफल नहीं होने देंगे, ऐसी चेतावनी दी ।

हिन्दू धार्मिक परंपरा रक्षा अभियान

२६ जनवरी को चलो शनिशिंगणापूर

कथित पुरोगामी एवं नास्तिकवादी इनके विरूद्ध हिंदूआें की धार्मिक परंपराएं एवं प्रथाएं इनकी रक्षा हेतु अभियान हाथ में लिया गया है । इसके अंतर्गत २६ जनवरी को भूमाता ब्रिगेड के चबुतरेपर चढने के प्रयास को निष्फल बनाने के लिए सभी धार्मिक एवं हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के कार्यकर्ता शनिशिंगणापूर देवस्थान की रक्षा करनेवाले हैं, साथही उसके चारों ओर सुरक्षाकवच बनानेवाले हैं । इस अभियान के लिए गांव की महिलाआें के समेत महाराष्ट्र से बडी मात्रा में शनिभक्त उपस्थित रहनेवाले हैं । इसलिए अधिकाधिक महिलाएं तथा शनिभक्त इस अभियान में सहभागी हों, ऐसा आह्वान समिति की ओरसे किया गया है ।
जो इस अभियान में सहभागी होना चाहते हैं, उन शनिभक्त एवं धर्माभिमानी हिन्दू, हिन्दू जनजागृति समिति के राज्य संगठक श्री. सुनील घनवट से ९४०४९५६५३४ इस क्रमांकपर संपर्क करें, ऐसा आह्वान समितिने किया है ।

शनिशिंगणापूर के शनिदेव के चबुतरेपर महिलाआें को प्रवेश करने के लिए प्रतिबंध क्यों ?

महाराष्ट्र के सुप्रसिद्ध शनिशिंगणापूर देवस्थान अंतर्गत शनिदेव के चबुतरेपर महिलाआें को प्रवेश के लिए प्रतिबंध होते हुए भी एक महिलाने चबुतरेपर चढकर शनिदेव को तेलार्पण किया । इस घटना के संदर्भ में एबीपी माझा, आयबीएन् लोकमत इत्यादी समाचार प्रणाल एवं अन्य माध्यम इनमें स्त्रीमुक्ती, पुरषसत्ताक संस्कृति, मंदिरसंस्कृति का प्रतिगामीपन, पुरानी विचारधारा आदी दृष्टिकोण को लेकर चर्चा चालू है । यह विषय धार्मिक दृष्टिसे अधिक महत्त्वपूर्ण होने के कारण यहांपर सनातन का दृष्टिकोण दिया है ।
१. शनिशिंगणापूर में शनिदेव की स्वयंभू मूर्ती एक चबुतरेपर खडी है । मंदिर प्रबंधन ने कुछ वर्ष पूर्व ही चबुतरेपर चढकर शनिदेव को तेलार्पण करनेपर प्रतिबंध डाला था । इसलिए आज आए दिन सभी जाति-धर्म के स्री-पुरूष श्री शनिदेव का दर्शन दूरसे ही करते हैं । इसलिए वहां मात्र महिलाआेंपर ही प्रतिबंध है, ऐसा कहना अनुचित है ।
२. अध्यात्मशास्र के अनुसार प्रत्येक देवता का कार्य निर्धारित होता है । उस कार्य के अनुसार संबंधित देवता की प्रकटशक्ति कार्यरत होती है । शनिदेवता उग्रदेवता होने के कारण उसमें होनेवाली प्रकटशक्ति के कारण महिलाआें को कष्ट होने की संभावना होती है । शनिशिंगणापूर में ४००-५०० वर्ष पूर्व शनिदेव का मंदिर बना । तबसे लेकर वहां महिलाआें के लिए चबुतरे के नीचेसे दर्शन करने की परंपरा है ।
३. अशौच होते समय, साथ ही चमडी की वस्तूएं (घडी का पट्टा, कमर का पट्टा) आदी परिधान किए हुए पुरूषों के लिए भी शनिदेव के चबुतरेपर प्रवेश करने के लिए प्रतिबंध है । इतनाही नहीं, अपितु पुरूषों को चबुतरेपर चढने के पूर्व स्नान के द्वारा शरिरशुद्धी करना, साथ ही केवल श्‍वेतवस्र ही परिधान करना आवश्यक होतो है । इन नियमों का पालन करनेवालों को ही मात्र शनिदेव के चबुतरेपर प्रवेश है ।
४. हिन्दु धर्म में कुछ देवताआें की उपासना कुछ विशिष्ट कारणों के लिए ही की जाती है । शनिदेव उन देवताआें में से एक हैं । विशिष्ट ग्रहदशा, उदा. साढेसाती आदी काल में उनकी उपासना की जाती है । यह सकाम साधना होने के कारण सकाम साधना करनेवाले को उस साधनासे संबंधित नियमों का पालन करनेसे मात्र ही उसका फल प्राप्त होता है । हमने यदि मनगंढत नियम बनाए, तो उसमेंसे केवल मानसिक संतोष होगा; परंतु आध्यात्मिक लाभ नहीं होगा ।
५. यह विषय स्त्रीमुक्ति का न होकर वह पूर्णरूपसे आध्यात्मिक स्तर का है । इसलिए उसकी चिकित्सा सामाजिक दृष्टिकोण से, साथ ही धर्म का अध्ययन न होनेवालों से करना अनुचित हो । किसी विषय के विशेषज्ञने ही उस विषयपर बात करनी चाहिए । किसी विधिज्ञ के लिए किसी रोगी को औषधि देना जिस प्रकार अयोग्य होगा, उसी प्रकार इस विषयपर सामाजिक कार्यकर्ताआें को दूरचित्रवाणी प्रणालोंपर चर्चा करना योग्य नहीं होता ।
६. शनिदेव के चबुतरेपर महिलाआें के प्रवेश मिले, इसलिए स्रीमुक्ति का आक्रोश करनेवाले धर्मद्रोही मस्जिदों में महिलाआें को प्रवेश मिले; इसलिए क्यों नहीं चिल्लाते ?
श्री. चेतन राजहंस, प्रवक्ता, सनातन संस्था

बुद्धीप्रमाणतावादी पत्रकारोंद्वारा अनावश्यक विरोधी प्रश्‍न

पत्रकार सम्मेलन के समय कुछ बुद्धीप्रमाणतावादी पत्रकारोंद्वारा श्री शनिदेव का दर्शन करनेसे महिलाआें को कष्ट हो सकता है, इसके वैज्ञानिक प्रमाण दिजिए, इस प्रकार के अनावश्यक प्रश्‍न उपस्थित किए जा रहे थे । पत्रकारों की शंकाआें का निवारण करने का प्रयास कर भी अयोग्य प्रथाआें को छेद देकर परिवर्तन करने की हिन्दु धर्म की परंपरा है । इस प्रकार के वक्तव्य कर अध्यात्मशास्र एवं धर्मशास्र इनको जान लेने में रूचि नहीं दिखाई । (दोनों बाजूआें को जान लेकर समाजतक उसमें की योग्य बाजू पहुंचाने का दायित्व पत्रकारों का है । किसी भी अध्ययन के बिना अपने मन में एक बाजू निश्‍चित कर मात्र विरोध के लिए विरोध करनेवाले पत्रकार समाज का योग्य दिशादर्शन क्या करेंगे ?  संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
प्रश्‍न : शनिदेव उग्र होने के कारण इस देवता के दर्शन के कारण महिलाआें की गोदपेटपर प्रतिकूल परिणाम होने का वैद्यकीय दृष्टिसे सिद्ध हुआ है क्या ? यह हमें आपका प्रसिद्धी प्राप्त करने के लिए बनाया हुआ स्टंट लगता है ।
उत्तर : प्रत्येक बात को वैद्यकीय दृष्टिसे सिद्ध नहीं किया जा सकता । विज्ञान के नियम अध्यात्म के लिए लागू नहीं होते । अध्यात्मशास्र अनुभूति का शास्र है । अध्यात्म के नियमों को समझ लेने के लिए उसके लिए पात्र होना पडता है, अर्थात् उसके लिए साधना करना आवश्यक है । जिसकी जैसी आस्था होती है, उसे उस प्रकार का फल प्राप्त होता है, ऐसा गुरुचरित्र में बताया गया है । ऋषिमुनियोंने  सैंकडो वर्ष पूर्व किये गए नियम चूक नहीं हो सकते ।
हमे प्रसिद्धी प्राप्त करने के लिए स्टंट करने की कोई आवश्यकता ही नहीं है । प्रथा-परंपराआें को तोडने के संदर्भ में पहले पुरोगामियोंने ही घोषित किया । इसीलिए हमे अपनी धार्मिक परंपराआें की रक्षा करने हेतु अभियान चलाना पडा । इसके लिए हमने पुलीस एवं प्रशासन इनको ज्ञापन दिया है । हिन्दू सहिष्णु हैं; इसलिए कोई भी उठे तथा हिन्दूआें की प्रथाएं एवं परंपराआें को तोडने का प्रयास करे, यह सहन नहीं किया जाएगा ।
प्रश्‍न : पुरोगामी महिलाआें को रोकने के लिए आप बल का उपयोग करेंगे क्या ?

Saturday 9 January 2016

इस्लामी आक्रमणकारियोंसे लडनेवाली भोजशाला (सरस्वती मंदिर) को पुनर्वैभवकी प्रतीक्षा !

भाेजशाला (सरस्वती मंदिर)

इस्लामी आक्रमणकारियोंसे लडनेवाली भोजशाला (सरस्वती मंदिर) को पुनर्वैभवकी प्रतीक्षा !

इस्लामी आक्रमणकारियोंने जिस प्रकारसे अयोध्याकी श्रीराम जन्मभूमि, मथुराका श्रीकृष्ण जन्मस्थान एवं काशीके विश्वनाथ मंदिरको बलपूर्वक ले लिया था , उसी प्रकारका प्रयत्न वे धार (मध्यप्रदेश) की भोजशालाके विषयमें कर रहे हैं । भोजशाला, अर्थात विद्याकी देवी सरस्वतीका प्रकटस्थल ! अपने अनेक प्रकारकी विद्याओंका जनक भारतीय विश्वविद्यालय ! महापराक्रमी राजा भोजकी तपोभूमि ! इस सरस्वतीदेवीके मंदिरमें आज प्रत्येक शुक्रवारको ‘नमाज’ पढी जाती है । सहस्रों वर्षसे चल रहा इस भोजशाला मुक्तिका संघर्ष आज भी जारी है । अधर्मी शासन मतोंकी तुष्टीकरण राजनीतिसे प्रेरित होकर हिंदुओंके आस्था केंद्रोंकी उपेक्षा कर रहा है । पुनर्वैभवकी प्रतीक्षा कर रहे भोजशालाकी श्री सरस्वती देवीका परंपरागत वसंतोत्सव शुक्रवार, १२ फरवरी २०१६ को है ।