Monday 27 August 2018

मालेगांव ब्लास्ट : कर्नल पुरोहित ने ATS पर किडनैपिंग और टॉर्चर करने का लगाया आरोप


लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित ने मालेगांव विस्फोट को लेकर २००८ में एटीएस द्वारा उनके ‘अपहरण और टॉर्चर’  को लेकर उच्चतम न्यायालय में एसआईटी जांच के लिए एक याचिका दायर की है। कर्नल प्रसाद पुरोहित ने अपनी याचिका में कहा कि उन्हें महाराष्ट्र एंटी टेरोरिज्म स्क्वॉड (एटीएस) द्वारा टार्चर किया गया था और उनके उपर बयान देने के लिए दवाब बनाया गया था। अपनी याचिका के माध्यम से कर्नल पुरोहित ने कहा कि, “जो कुछ भी उन्होंने कहा था, उन्हें टार्चर कर और दबाव बनाकर कहलवाया गया था।” यहां बता दें कि २०१४ से कर्नल पुरोहित यह दावा कर रहे हैं कि उनके द्वारा जो कथित तौर पर कबुल किया गया है, वह एटीएस के दवाब में किया गया। इस मामले को न्यायालय के निगरानी में गठित एसआईटी से जांच होनी चाहिए ताकि उन्हें न्याय मिल सके। हालांकि, सूचीबद्ध होने के बावजूद उच्चतम न्यायालय के जज ने सोमवार (२७ अगस्त) को इस मामले की सुनवाई से इंकार कर दिया।
बता दें कि, २९ सितंबर २००८ को महाराष्ट्र के नासिक जिले के धार्मिक रूप से संवदेनशील इलाके मालेगांव में ब्लास्ट हुआ था। इसमें छह लोग मारे गए थे। इस मामले में महाराष्ट्र एटीएस ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और कर्नल पुरोहित को अरोपी बनाते हुए ४००० पन्नो की चार्जसीट दायर की थी। एक स्पेशल मकोका कोर्ट ने इससे पहले बताया था कि एटीएस ने कर्नल पुरोहित, साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और नौ अन्य लोगों को मकोका के तहत गलत तरीके से फंसाया गया था।
अगस्त २०१७ में उच्चतम न्यायालय ने २००८ के मालेगांव विस्फोट में आरोपी कर्नल पुरोहित को जमानत दी थी। लगभग नौ साल जेल में रहने के बाद वे जमानत पर बाहर आए। वारदात में अपने शामिल होने से इनकार करते हुए कर्नल पुरोहित ने न्यायालय से कहा था कि, अगर यह मान भी लिया जाए कि उस पर लगाया गया बम की आपूर्ति करने का आरोप सही है तो भी उसे जेल से बाहर होना चाहिए क्योंकि इस अपराध की भी अधिकतम सजा सात साल है, जो वह पहले ही काट चुके हैं। हालांकि, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने जमानत याचिका का विरोध किया था। जेल से निकलने के समय सेना की गाडी उन्हें लेने आयी थी।
स्त्रोत : जनसत्ता

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